भारतीय मुद्रा बाजार
मुद्रा बाजार का अर्थ- मुद्रा बाजार वह बाजार होता है जहां मुद्रा के क्रेता और उसके विक्रेता आपस में संपर्क स्थापित करके मुद्रा का क्रय विक्रय करते हैं। मुद्रा के क्रय से आशय मुद्रा को उधार लेने से है और मुद्रा को बेचने से तात्पर्य मुद्रा का उधार देने से है। जिस प्रकार बाजार में किसी वस्तु के खरीदने बेचने वाले होते हैं ठीक उसी प्रकार मुद्रा की खरीदनी तथा बेचने वाले भी होते हैं जिस प्रकार वस्तु को बेचने पर विक्रेता को वस्तु की कीमत मिलती है ठीक उसी प्रकार मुद्रा उधार देने से मुद्रा देने वाले को ब्याज दिया जाता है अतः मुद्रा का मूल्य उसके रोड पर मिलने वाली ब्याज की दर है जो कि मुद्रा बाजार में अल्प समय के लिए ही रुपए उधार दिया है अथवा लिया जाता है इसलिए व्यापारिक ब्लू प्रतिज्ञा पत्रों सरकारी मंडियों का क्रय विक्रय इस बाजार में व्यापक रूप से होता है
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