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Money-Nature, Meaning, Defination, form,

प्रकर्ति-वस्तु विनिमय प्रणाली में अत्यधिक असुविधा होने के कारण लोग किसी ऐसी वस्तु का चुनाव करना चाहते थे, जो उन्हें विशेष विनिमय के माध्यम के रूप को स्वीकृति प्रदान कर सके। इस प्रकार समय के साथ विनिमय के उद्देश्य से विभिन्न वस्तुओं जैसे-गाय,गेंहू, मक्का, सोना चांदी आदि का प्रयोग मुद्रा के रूप में किया गया। आज प्रत्येक देश की अपनी मुद्रा के साथ साथ उसको संचालित करने की प्रणाली भी है।
अतः यह ज्ञात होता हैं कि मुद्रा के विकास के चरण विभिन्न प्रकार के है।
  1. वस्तु-मुद्रा
  2. धातु-मुद्रा
  3. पत्र-मुद्रा
  4. बैंक-मुद्रा
  5. इलेक्ट्रॉनिक or प्लास्टिक मुद्रा
उत्तर मुद्रा से आशय MEANING OF MONEY : मुद्रा को अंग्रेजी भाषा में ' मनी ' ( Money ) कहते हैं , जो लेटिन भाषा के शब्द ' मोनेटा ' ( Moneta ) से बना है । ' मोनेटा ' इटली के प्रसिद्ध देवी ' जूनों ' ( Goddess Juno ) का प्रारम्भिक नाम था । इटली वाले इसे ' स्वर्ण की रानी ' मानते थे । प्राचीन काल में रोम में इसी देवी के मन्दिर में मुद्राओं के बनाने का कार्य हुआ करता था । उस समय लोग मुद्रा को स्वर्गीय आनन्द का प्रतीक मानते थे । कुछ विद्वानों ने ' मनी ' ( Money ) शब्द को लेटिन भाषा के पिकूनिया ' ( Pecunia ) शब्द से सम्बन्धित किया है । ' पिकूनिया ' ( Pecunia ) शब्द ' पेकस ' ( pecus ) शब्द से बना है , जिसका अर्थ है पशु - सम्पत्ति । प्राचीन काल में प्राय : सभी देशों में पशुओं को मुद्रा के रूप में प्रयोग में लाया जाता था । अतः उस समय मुद्रा और पशु का एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता था । इनमें से कुछ भी सत्य हो , परन्तु इतना अवश्य सही है कि , मुद्रा के अर्थ के सम्बन्ध में विद्वानों में काफी मतमेद प्रारम्भ से ही रहा है ।

मुद्रा का अर्थ
मुद्रा वह है जिससे अन्य वस्तुओं के विनिमय हेतु सामन्यतः स्वीकार किया जाए था जो भूतकाल तथा वर्तमान के सभी दायित्व का निर्वाह कर सके।

मुद्रा की परिभाषा
मुद्रा की परिभाषा को भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया गया। जो कि इस प्रकार है।
  • सामान्य स्वीकृति पर आधारित परिभाषाऍ
  • वर्णनात्मक या कार्यात्मक परिभाषाएँ
  • वैधानिक परिभाषाएँ

सामान्य स्वीकृति पर आधारित परिभाषाऍ
इस वर्ग में उन समस्त परिभाषा को सम्मिलित किया जाता है। जो मुद्रा की सामान्य स्वीकृति पर विशेष बल देती हैं। इनके अनुसार सामान्य सुकृति को मुद्रा का एक आवश्यक गुण माना जाता है–

मार्शल- मुद्रा में वे सब वस्तुएं सम्मिलित होती हैं जो किसी समय अथवा स्थान में बिना किसी सन्देह या विशेष जांच-पड़ताल के वस्तुओं  तथा सेवाओं को खरीदने और ख़र्चे चुकाने के साधन के रूप में साधारणत: प्रचलित होती हैं।

सेलीगमैन:- मुद्रा वह वस्तु  है जिसे सामान्य स्वीकृति प्राप्त है।

वर्णनात्मक या कार्यात्मक परिभाषाएँ
इस वर्ग में उन समस्त परिभाषा को शामिल किया जाता है। जो परिभाषा के स्थान पर वर्णन को अधिक महत्व देती हैं ये परिभाषा यह बताने के स्थान पर की मुद्रा क्या है मुद्रा के कार्यों का वर्णन करती हैं।
क्राउथर- मुद्रा  वह वस्तु हैं जो विनिमय (अर्थात ऋणो के निपटाने के साधन) के रूप में सामन्यतः स्वीकार्य होती हैं तथा साथ ही मूल्य मापक के रूप में कार्य करती है

कोलबोर्न– "मुद्रा वह है जो मूल्य मापक  और भुगतान का साधन है''|
वैधानिक परिभाषाएँ



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